गाव में दशहरा कैसे मनाया जाता है|Dussehra in Indian village|
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गावों में दशहरा कैसे मनाया जाता है |
गांवों में दशहरा का महत्व
शहरों की तरह गाँव में भी दशहरा(Dussehra) बहुत धूम धाम और धार्मिक सम्भावनाओं के साथ मनाया जाता है
लेकिन गावों में इनका महत्व और भी जादा होता है सभी लोग दशहरा dasahara का त्योहार केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक मेल जोल और परंपरा की पहचान होता है
2025 में दशहरा कब है
वैसे तो 28/09/2025 को नवरात्री चालू हो जाएगा और 01/10/2025 को नवरात्री का लास्ट दिन है और 02/10/2025 को दशहरा मनाया जाएगा
और उसी दिन 02/10/2025 को गांधी जयंती भी पड रही
गाँवों में रामलीला (ramleela in village)
गांवों में रामलीला परंपरागत तरीके से होता है
कलाकार सब गांवों के लोगों ही होते हैं जो एक सप्ताह पहले से रिहर्सल करते हैं अपनी कलाकारी को और भी जादा निखारने के लिए ताकि रामलीला में कोई गलती और बोलने में झिझक ना हो
बड़े बुजुर्ग और बच्चे भी रिहर्सल में भाग लेते हैं और उसका आनंद लेते हैं और तैयारी में साथ देते हैं
और कई जगह तो रिहर्सल में भी डोल नगाड़े के साथ होता है ताकि बाद में कोई गलती ना हो और सभी कलाकार को और भी बेहतर परफॉर्मेंस होए
दशहरा मेला (village Dussehra mela)
गावों में दशहरा का सबसे बड़ा आकर्षण दशहरा का मेला होता है
खुले मैदान में मेले का आयोजन किया जाता है उस जगह को चुना जाता है जहां पर आने जाने की सुविधा अच्छी-खासी हो ताकि लोगों को मेले में जाने और आने में कोई परेशानी न हो वैसे तो अक्सर रोड के किनारे ही मेले का आयोजन किया जाता है
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गावों में दशहरा कैसे मनाया जाता है |
गाव के लोग ही नहीं बल्कि गाव के आसपास के लोग भी मेले में बड़ी संख्या में हिस्सा लेते है और मेले का आनंद लेते हैं गाव के आसपास के लोग तो पैदल ही मेला देखने निकल देते है आपस में बात चित करते हुए
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Dussehra mela maut ka kua |
मेले में जो भी समान मिलता है सभी ताजा और अच्छी क्वालिटी का होता है और आपके सामने ही बना कर दिया जाता है
जैसे गावों के मेले में सबसे फेमस चीज़ है जलेबी और वह भी दो प्रकार की होती हैं एक तो normal jalebi और दुसरी जो गावों में उसे बोलते है चोटहिया जलेबी chotahiya jalebi
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Dasahara village mela |
और गावों के मेले में भी अभी सभी कुछ मनोरंजन के साधन भी अच्छे-अच्छे होते हैं जैसे झूला मौत का कुआ आर्केस्ट्रा डांसर जैसे मनोरंजन के सभी साधन उपलब्ध होते है
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गावों में दशहरा कैसे मनाया जाता है |
और मेले में आने वाले सभी जाति और सभी धर्मों के लोग होते है ऐसा नहीं है किसी खास जाति या धर्म के लिए मेला लगाया जाता है गांवों में सभी एक साथ मिलकर मेले का आनंद लेते है
रावण दहन (Ravan dahan village)
गावों में दशहरा में के मेले में अक्सर रावण का पुतला हाथ से बनाकर तैयार किया जाता है
बास का फाड़ कर और कपड़े पेपर के साथ सुन्दर तरीके से बनाया जाता है और रावण को एक पुतले के रूप में पूरा गाव वाले मिलकर बनाते हैं उसमे बहुत सारे पटाखे और बम का भी उपयोग करके बनाया जाता है
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गावों में दशहरा कैसे मनाया जाता है |
मेले के दिन शाम को जब अंधेरा होना सुरु होता है तभी गांव के सारे लोग मिलकर रावण के पुतले को दहन करते हैं
दहन होते पुतले को मेले में आए सभी लोग उसका आनंद लेते हैं क्योंकि रावण के पुतला को थोड़ा ऊचाईयों तक बनाया जाता है
जलते समय उसमे लगाए गए पटाखे और बम की आवाज काफी दूर तक जाती है
दशहरा को एक धार्मिक पूजा के रूप में भी देखा जाता है
दशहरा के पहले गांवों में 9 दिन पहले नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा होती है उसके दौरान 9 दिन पहले माँ दुर्गा की मूर्ति लायी जाती है और पूरे 9 दिन तक उसकी पूजा पूरा गांव वाले मिलकर करते है और शाम सुबह दोनों time माँ दुर्गा की आरती की जाती है इस दौरान महिलाये पूरे 9 दिन भूखे रहती है और कोई जरूरी नहीं है सभी लोग भूखे रहे जिसका मर्जी करे वहीं रह सकता है
इसमें कोई किसी प्रकार का दबाव नहीं होता
conclusion
गांव में दशहरा कैसे मनाया जाता है village Dussehra conclusion in india
इनका मतलब सही है गावों के लोग दशहरा त्योहार को भक्ति संस्कृति और भाइचारे के साथ बनाते हैं
रामलीला मेला लंका दहन और पारंपरिक पूजा गाव के दशहरा को विशेष बनाते हैं.
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